NCERT Book Class 12 Hindi Aroh: Chapter 9 फ़िराक गोरखपुरी कवि परिचय

 

NCERT Book Class 12 Hindi Aroh: Chapter 9 फ़िराक गोरखपुरी  कवि परिचय
NCERT Book Class 12 Hindi Aroh: Chapter 9 फ़िराक गोरखपुरी  कवि परिचय


NCERT Book Class 12 Hindi Aroh: Chapter 9 फ़िराक गोरखपुरी  कवि परिचय

NCERT Book Class 12 Hindi Aroh: Chapter 9 फ़िराक गोरखपुरी कवि परिचय

Class 12 Hindi Aroh: Chapter 9 फ़िराक गोरखपुरी कवि परिचय में  फ़िराक गोरखपुरी जी की जीवनी का परिचय बताया गया है| जिससे आप Class 12th व अन्य संबधित परीक्षा दे सकते है| 

इस पोस्ट में  Class 12 Hindi Aroh: Chapter 9 फ़िराक गोरखपुरी कवि परिचय, उनकी द्वारा लिखी रचनाये और उनका जन्म-निधन के बारे में लिखा गया है| 

➤ फ़िराक गोरखपुरी जी का कवि परिचय

मूल नाम: रघुपति सहाय 'फ़िराक'

जन्म: 28 अगस्त, सन 1896, गोरखपुर (उत्तरप्रदेश)

शिक्षा: रामकृष्ण की कहनियो से शुरुआत, बाद की शिक्षा अरबी, फ़ारसी और अग्रेजी में| 1917 में डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयनित, पर स्वराज आदोलन के लिए 1918 में पद त्याग| 

-1920 में स्वाधीनता आदोलन में हिस्सेदारी के कारण  डेढ़ वर्ष की जेल|  इलाहाबाद विश्वविधालय की अग्रेजी विभाग में अध्यापक रहे

सम्मान: गुले-नग्मा के लिए साहित्य अकादेमी पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार और सोवियत लैंड नेहरु अवार्ड

महत्वपूर्ण कृतिया: गुले-नग्म, बज्मे जिन्दंगी:रंगे-शायरी, उर्दू गजलगोई

निधन: सन 1983 

➤ विस्तार से फ़िराक गोरखपुरी' जी का कवि परिचय

जन्म: 28 अगस्त, सन 1896, गोरखपुर (उत्तरप्रदेश)

निधन: सन 1983 में

मूलनाम: रघुपति सहाय 'फ़िराक'

उर्दू के महान शायर

शिक्षा: रामकृष्ण की कहानियाँ - अग्रेजी, अरबी, फ़ारसी

-इलाहाबाद विश्वविद्यालय में - अग्रेजी विभाग (अध्यापक)

-1917 में डिप्टी कलेक्टर 

-1918 में त्याग पत्र (स्वराज आदोलन के लिए) 

-1920 में डेढ़ साल की जेल

उर्दू शायरी- रूमानियत, रहस्य, शास्त्रीय था लेकिन बाद में 

-लोकजीवन + प्रकति के बारे में लिखा

नजीर अकबराबादीइल्ताफ़ हुसैन हाली तथा फ़िराक ने रिवायत को तोडकर प्रकति,भौतिक जीवन पर सोंदर्य पर शायरी कहा

पुराने विषय की जगह नये विषय पर रुबाइया व गजले कहा|

परम्परागत भावकोष व शव्दावली के प्रयोग करते हुए नये विषयों नयी भाषा में जोड़ा

सामाजिक दुःख दर्द - व्यक्तिगत अनुभूति  को शायरी में ढाला गया

गजलो में दर्द शायर की ठसक(अभिमान) 

काव्य-शिल्प की ऊचाई

-गजलो में हिंदी समाज + उर्दू शायरी की परम्परा भरपूर है| 

-रुबाईयो में हिंदी का घरेलू  रूप दिखाई देता है|

मीर ग़ालिब की तरह आम व्यक्ति से बात की

भाषा: अरबी, फ़ारसी युक्त शब्दावली व खड़ी बोली

अलंकार:  अनुप्रास, पदमैत्री, उपमा, संदेह,मानवीकरण

पुरस्कार: 

  1. साहित्य अकादेमी पुरस्कार
  2. ज्ञानपीठ पुरस्कार
  3. पदमभूषण
  4. सोवियत लैंड नेहरु अवार्ड

रचनाएँ: 

  1. गुले-नग्मा,
  2. बज्मे-जिन्दगी: रंगे-शायरी
  3. उर्दू गजलगोई 
  4. सरगम

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