NCERT Book Class 12 Hindi Aroh: Chapter 1 आत्म-परिचय, एक गीत प्रश्न-उत्तर (Question-Answer)

NCERT Book Class 12 Hindi Aroh: Chapter 1 आत्म-परिचय, एक गीत प्रश्न-उत्तर (Question-Answer)
NCERT Book Class 12 Hindi Aroh: Chapter 1 आत्म-परिचय, एक गीत प्रश्न-उत्तर (Question-Answer)


NCERT Book Class 12 Hindi Aroh: Chapter 1 आत्म-परिचय, एक गीत प्रश्न-उत्तर (Question-Answer)

➤कविता के साथ

 प्रश्न 1) कविता एक ओर जग-जीवन का भार लिए घूमने की बात करती है और दूसरी ओर मैं कभी न जग का ध्यान किया करता हू- विपरीत से लगते इन कथनों का क्या आशय हैं ?

उत्तर-  'जग-जीवन का भार लिए फिरता' तथा 'कभी न जग का ध्यान करना' कथन विपरीत से लगते हैं. लेकिन विपरीत नही है| पहले कथन का आशय है, संसार में रहकर सामाजिक उतरदायित्वॊ की पूर्ति करना|
सामाजिक उतरदायित्वॊ को कवि ने जग जीवन का भार बताया हैं| दूसरे कथन का अर्थ हैं, संसार ने प्रचलित और मान्य विचारो, परम्पराओ आदि पर चलना, कवि अपने सामाजिक दायित्वों को तो निभाता हू, परन्तु संसार की परिपाटी पर नही चलता|

प्रश्न 2) जहाँ पर दाना रहते है, वहीं नादान भी होते हैं- कवि ने ऐसा क्यों कहा होगा?

उत्तर- जहाँ पर दाना रहते है, वहीं नादान भी होते हैं- कवि का यह कथन सत्य की खोज के सम्बन्ध में है| संसार में ज्ञानी और अज्ञानी दोनों ही रहते है, किन्तु सत्य के स्वरूप को दोनों ही नही समझते है| इस सम्बन्ध में दोनों की हालत एक जैसी है|  अज्ञानी तो अज्ञानी है, परन्तु ज्ञानी होने का अहंकार ज्ञानियों को भी सत्य नही पहुचने देता है|

प्रश्न 3) मैं और, और जग और कहॉ का नाता- पंक्ति में और शब्द की विशेषता बताइए| 

उत्तर- मैं और, और जग और कहॉ का नाता- पंक्ति में 'और' शब्द का तीन बार प्रयोग हुआ हैं| प्रथम तथा तृतीय बार प्रयुक्त 'और' शब्द का अर्थ है- भिन्न या अलग| ये शब्द विशलेषण है| द्वितीय बार प्रयुक्त 'और' का अर्थ है- 'तथा'|
यह अत्यय है, 'और' शब्द की आवर्ती होने तथा उसके अर्थ  भिन्न-भिन्न होने पर यहाँ यमक अलंकार है| कवि कहना चाहता है, की त्याग और प्रेम पर भरोसा करने वाले कवि की भोगवादी संसार से कोई समानता नही है|

प्रश्न 4) शीतल वाणी में आग- के होने का क्या अभिप्राय हैं?

उत्तर- कवि के कहने का अभिप्राय यह है, की वह वाणी की कोमलता,मधुरता और शीतलता का पक्षधर है| वह अपनी बात कोमल वाणी में कहता है, किन्तु इस कोमल वाणी में उसके ह्रदय की वेदना छिपी है| यह वह आग है, जिसे कवि ने शीतल वाणी  के माध्यम से व्यक्त करना चाहता है|

प्रश्न 5) बच्चे किस बात की आशा में नीड़ो से झाँक रहे होगे?

उत्तर- बच्चे इस आशा में नीड़ो(घोंसला) से झाँक रहे होगे, कि उनके माता-पिता उनके लिए भोजन-सामग्री (दाना)लेकर शीघ्र उनके पास आते होगें| उन्हें भोजन के साथ ढेर सारे प्यार भी देगे|

प्रश्न 6) दिन जल्दी-जल्दी ढलता हैं- की आवर्ती से कविता की किस विशेषता का पता चलता हैं?

उत्तर- 'दिन जल्दी-जल्दी ढलता हैं'- की आवर्ती से कविता की किस विशेषता का पता चलता हैं- 
(1) इस कविता की रचना गीत-शौली में हैं| इस कारण स्थायी या टेक (दिन जल्दी-जल्दी ढलता हैं) को बार-बार कविता में दुहराया गया है|
(2) जीवन छोटा है, करने को काम बहुत है| इससे मन जो व्याकुलता हो रही हैं|
उससे लग रहा हैं, की दिन जल्दी-जल्दी ढल रहा हैं, कविता में हुई आवर्ती इस मनोवैज्ञानिक तथ्य को प्रकट करती है 

➤कविता के आसपास 

प्रश्न 1) संसार में कष्टों को सहते हुए भी ख़ुशी  और मस्ती का माहौल कैसा पैदा किया जा सकता है?
उत्तर- मन की दो भावना है- सुख और दुख|  जो भावना मन के अनुकूल है वह सुख और मन के प्रतिकूल है वही दुःख है| मन की दोनों भावना सुख व दुःख में ज्यादा लिप्त न होकर उनको समान रूप से भाव से ग्रहण करके ही ख़ुशी और मस्ती का माहौल पैदा किया जा सकता है|

➤ आपसदारी 

प्रश्न 1)  जयशंकर प्रसाद की आत्मकथ्य कविता की कुछ पंक्तिया दी जा रही है| क्या पाठ में दी गई  आत्म परिचय कविता से इस कविता का आपको कोई सम्बन्ध दिखाई देता है? चर्चा करे|

आत्मकथ्य 

 
मधुप गुन-गुना कर कहा जाता कौन कहानी यह अपनी 
* * * *

उसकी स्मरति पाथेय बनी है  थके पथिक की पंथा की|
सीवन को उधेड़ कर देखोगे क्यों मेरी कंथा की?
छोटे से जीवन की कैसे बड़ी कथाएँ आज कहूँ?
क्या यह अच्छा नही कि औरों की सुनता मैं मौन रहूँ?
सुनकर क्या तुम भला करोगे मेरी भोली आत्म-कथा?
अभी समय भी नही, थकी सोई है मेरी मौन व्यथा|
                                                     -जयशंकर प्रसाद

उत्तर- जयशंकर प्रसाद की कविता 'आत्मकथ्य' तथा हरिवंश राय बच्चन की कविता 'आत्मपरिचय' की दोनों की कविताओ में उनके व्यक्तिगत जीवन की झाँकी मिलती है और दोनों की कविताओ में प्रेम के बारे में व्यंजना है|
दोनों कवियों द्वारा लिखित कविताओ में की प्रेम कथा में सभी कुछ समान नही है|  कवि हरिवंश राय बच्चन जी अपने प्रेम को स्पष्ट शब्दों में स्वीकार करते है और प्रेम में किसी का हस्तक्षेप उनको स्वीकार नही करते है|

इसके उल्ट हमारे कवि जयशंकर प्रसाद अपने प्रेम को स्पष्ट रूप से स्वीकार करना उचित नही समझते-

सुनकर क्या तुम भला करोगे मेरी भोली आत्म-कथा?
अभी समय भी नही, थकी सोई है मेरी मौन व्यथा|

हिंदी कवि  हरिवंश राय बच्चन जहाँ अपने प्रेम में किसी की बुरे टीका-टिप्पणी पर कठोर रूप से प्रतिक्रिया व्यक्त करते है, वहीं जयशंकर प्रसाद केवल खुद को शांत और मौन रखते है| 

इसी प्रकार विषयगत समानता होने पर भी दोनों कवियों के प्रेम पर कथन और अभिव्यंजना में बहुत हद तक अंतर है|

➤ अन्य  महत्वपूर्ण प्रस्नोतर-

प्रश्न 1) 'जग जीवन का भार' कथन से कवि का क्या आशय है?

उत्तर- 'जग जीवन का भार' कथन का आशय है, की संसार में रहकर मनुष्य को अनेको जिमेदारियो का निर्वाह करना पड़ता है| जिससे जीवन में परेशानी आती है, जिससे जीवन आसन नही रह जाता है| कर्तव्य के गुरुतर के कारण 'जग जीवन का भार' कहा गया है|

प्रश्न 2)  'साँसों के दो तार' किसे कहा है तथा क्यों?

उत्तर-  कीव जयशंकर प्रसाद ने जीवन की तुलना तारों के बाजे से की है| मनुष्य की जीवन की साँस उसी प्रकार चलती है, जिस प्रकार  बाजे को तारों को छोड़ने पर उनसे संगीत की मधुर ध्वनी निकलती है|

प्रश्न 3) कथन का आशय स्पष्ट करे- "मै कभी न जग का ध्यान किया करता हू?"

उत्तर- संसार के लोग स्वार्थी है और कवि केवल त्याग और निस्वार्थ प्रेम के आदर्श में विश्वास करता है| जो उसके मन के आचरण से एक दम भिन्न है|

प्रश्न 4)  कथन का आशय स्पष्ट करे- 'जग पूछ रहा उनको' जग किसको पूछता है?

उत्तर- जग के लोग लालची है| जो लोग स्वार्थ को पूरा करता है, वही उस से प्रेम करता है| जो मन के प्रति अनुकूल अच्छी बाते करता है| उनको ही जग में लोग पूछते है|

प्रश्न 5) इस कथन से कवि का क्या तत्पर्य है -''जग की गाते'?

उत्तर -  ''जग की गाते' इस कथन का तत्पर्य है, की जग के लोगो के मन की इच्छा के अनुसार काम करना चाहिए| लोगो की मन की प्रति अनुकूल बात करना, ठकुरसुहाती  कहने में विसवास रखना बातों को ही कवि ने जग की गाते कहा है|

प्रश्न 6. 'सुख व दुःख' भावना के प्रति कवि का मन में क्या भाव है?

उत्तर- कवि हरिवंश राय बच्चन मन की भावना सुख व दुःख को समान रूप से स्वीकार करते है| वह मन की भावना सुख में सुखी तथा दुःख में दुखी नही होता है| वह 'गीता' के श्लोक 'सुखे-दुखे समे कृत्वा' से काफी हद तक प्रभावित होते है 

प्रश्न 7. कवि हरिवंश राय बच्चन के मन में किसकी यादे है? इसका कवि पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर- कवि हरिवंश राय बच्चन के मन में अपने प्रियतम की यादे है| लेकिन प्रियतम  की यादे कवि के मन ही मन रुलाती है| परन्तु जग को दिखाने के लिये कवि बाहर से हँसता है परन्तु प्रेम की पीड़ा उसे अंदर ही अंदर रुलाती है|

प्रश्न 8. पंक्ति का आशय स्पष्ट करे- "मै और, और जग और, कहॉ का नाता!" ?

उत्तर- हमारे कवि हरिवंश राय बच्चन के मन में कुछ आदर्श है, जो इस संसार के विपरीत है| कवि कहता है, की संसार स्वार्थ से घिरा और मै त्याग-प्रेम से परिपूर्ण कवि| इस तरह के संसार से कवि का सम्बन्ध रखना कवि ली असम्भव है|

प्रश्न 9.कवि संसार को क्यों ठुकराता है?

उत्तर- कवि के अनुसार इस संसार के लोग नित्य वैभव जोड़ने में लगा रहता है| जो लोग केवल त्याग की भावना से दूर रहकर केवल धन जोड़ने में लगे रहते केवल उन्ही लोगो को कवि टुकराता है| कवि केवल त्याग में विश्वास करता है जबकि संसार के लोग सग्रह करने में लगा है|

प्रश्न 10. भूपों के प्रसाद किस पर निछावर है तथा क्यों?

उत्तर- राजाओ के महलो की सुख-सुविधा हमारे कवि हरिवंश राय बच्चन को आकर्षित नही करती है| वह तो अपनी छोटे से झोपडी से ही  खुश है| आत्म-संतोष के कारण राजमहलो को वह झोपडी पर निछावर करता है|

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