NCERT Book Class 12 Hindi Aroh: Chapter 6 उषा प्रश्न-उत्तर (Question-Answer)
➤कविता के साथ-
प्रश्न 1) कविता के किन उपमानों को देखकर यह कहा जा सकता है कि उषा कविता गाँव की सुबह का गतिशील शब्दचित्र है?
उत्तर- 'उषा' कविता गाँव की सुबह का गतिशील चित्र है| क्योंकी इस कवि की कविता में प्रयुक्त उपमानों को देखकर यह बात सुनिशिचत ढग से कही जा सकती है| इस कविता में कुछ ग्रामीण देशज शब्द को प्रयोग करते है, जैसे भोर(सुबह) के नीले आकाश के लिए 'राख से लीपा हुआ गीला चौका', 'केसर से धुली काली सिल' तथा 'लाल खड़िया चाक मली हुई स्लेट' आदि उपमान प्रयुक्त हुए है| यहा इस कविता में इस्तेमाल किये गये वस्तुए का शहरी जीवन में कोई स्थान नही है| स्लेट पर चाक से गाँव के बच्चे ही लिखते है,शहर के नही| चौके का लीपा जाना, सिल पर मसाला पीसा जाना तथा बच्चे द्वारा स्लेट पर लिखा जाना में एक क्रम है| इस कारण भोर का यह अनोखा चित्रण ग्राम जीवन से सम्बन्धित तथा गतिशील है|
प्रश्न 2) भोर का नभ
राख से लीपा हुआ चौका
(अभी गीला पड़ा है)
नयी कविता में कोष्ठक, विराम चिन्हों और पंक्तियों के बीच का स्थान भी कविता को अर्थ देता है| उपर्युक्त पंक्तियों में कोष्ठक से कविता में क्या विशेष अर्थ पैदा हुआ है? समझाइए|
उत्तर- कविताओ में कवि के द्वारा नई कविता में नए-नए प्रयोगों का विशेष महत्व है| इसी कारण कविता में कोष्ठक,विराम चिन्ह तथा पंक्तियों के बीच के स्थान को भी विशेष अर्थ प्रकट करने के लिए प्रयोग किया जाता है| इस अंश में कोष्टक में 'अभी गीला पड़ा है' लिखकर कवि ने अपने अनेको उपमानों को पूर्णता प्रदान की है| कवि ने यहा पर आकाश को गीला राख जैसा बताना चाहा है| इससे कवि यह व्यक्त करना चाहता है,कि पूर्ण प्रकाश न होने से नीला आकाश अभी कुछ काल-सा लग रहा है| तथा आकाश में नमी (गीलापन) भी व्याप्त है|
➤आपकी रचना
✦ अपने परिवेश के उपमानों का प्रयोग करते हुए सूर्योदय और सूर्यास्त का शब्दचित्र खीचिए|
उत्तर- (1) सूर्योदय-
लाल-जलती आग का मिट्टी का गोल घड़ा
नील रंग से भरे स्याही से बाहर आ गया
उससे सिर जला
अब लाल चूनर धारी सुन्दरी
अब दिखाई नहीं दे रही है|
(2) सूर्यास्त-
बड़ी गोल लाल गेंद
लहराती ढालू मैदान से
लुढ़क रही है, नीचे
बाद में अंतत छिपी गई झाड़ी में
लेकिन छोटे बच्चे उसे ढूढ रहे है
पर वह क्या मिलेगी अब?
➤आपसदारी-
✦ सूर्योदय का वर्णन लगभग सभी बड़े कवियों ने किया है| प्रसाद की कविता 'बीती विभावरी जाग री' और अज्ञेय की 'बावरा अहेरी' की पंक्तियाँ आगे बॉक्स में दी जा रही है| 'उषा' कविता के समानांतर इन कविताओ को पढ़ते हुए नीचे दिए गए बिंदुओं पर तीनो कविताओं का विश्लेषण कीजिए और यह भी बताइए की कौन-सी कविता आपको ज्यादा अच्छी लगी और क्यों?
● उपमान ● शब्दचयन ● परिवेश
बीती विभावरी जाग री!
अंबर पनघट में डुबो रही-
तारा-घट उषा नागरी|
खग-कुल कुल-कुल-सा बोल रहा,
किसलय का अंचल डोल रहा,
लो यह लतिका भी भर लाई-
मधु मुकुल नवल रस गागरी|
अधरों में राग अमंद पिए,
अलकों में मलयज बंद किए-
तू अब तक सोई है आली
आँखों में भरे विहाग री|
-जयशंकर प्रसाद
उत्तर- (i) उपमान- राख से लीपा हुआ चौका ( उषा )
पनघट, घट, नागरी आदि ( बीती, विभावरी..... )
बावरा अहेरी, जाल, आदि ( भोर का बावरा..... )
(ii) शब्दचयन- 'उषा' कविता में कवि ने सरल छोटे-छोटे शब्दों का प्रयोग किया है|
(iii) परिवेश- तीनों ही कविताओं में प्रात:काल के रम्य प्राक्रतिक द्रश्य का चित्रण हुआ है|
इन कविताओं में 'उषा' तथा 'भोर' का बावरा अहेरी' प्रयोगवादी कवियों की रचनायें है|