NCERT Book Class 12 Hindi Aroh: Chapter 5 सहर्ष स्वीकारा है प्रश्न-उत्तर (Question-Answer)
➤कविता के साथ
प्रश्न 1) टिप्पणी कीजिए; गरबीली गरीबी,भीतर की सरिता, बहलाती सहलाती आत्मीयता, ममता के बादल|
उत्तर- गरबीली गरीबी-
कवि धन-सम्पन्न व्यक्ति नही है|स वह काफी गरीब है, परन्तु गरीब होने के बावजूद किसी भी प्रकार के हीन-भावना से ग्रस्त नही है| कवि को अपने गरीबी पर गर्व है| 'गरबीली' विशेषण द्वारा कवि ने 'गरीबी' का मानवीकरण किया है|
भीतर की सरिता-
कविता में सरिता का अर्थ है- नदी में अपार जलराशि| जो उसे प्रवाहित रखने में मदद करती है| कवि के ह्रदय में भी अनेक भावों के जल भरा है| इन भावों के कारण कवि का ह्रदय सदा सरस(नम्र) बना रहता है| नदी के कवि के मन के मन में भी काफी सारे विभिन्न प्रकार के उठते भावों को ही यहा पर भीतर की सरिता कहा गया है|
बहलाती सहलाती आत्मीयता-
कवि का प्रिय उसे अपना मानता है| उसके साथ उसका गहरा अपनापन है, जो किसी सच्चे दोस्त/मित्र की तरह उसका मन बहलाता है| और दुःख में होने पर उसके पीड़ित ह्रदय को धीरे-धीरे सहलाकर उसे सुख व प्रेम देता है| यहाँ कवि ने आत्मीयता का मानवीकरण किया है|
ममता के बादल- कवि की कविता में अपने प्रिय की ममता को बादलों के समान बताया है| जिस प्रकार आकाश में छाए बादल धरती पर पानी बरसाते है तथा लोगो को धूप-ताप से बचाते है, उसी प्रकार प्रिय की ममता कवि को स्नेह-जल प्रदान करके दुःख के ताप से मुक्त रखती है| 'ममता के बादल' में रूपक अलंकार का प्रयोग है|
प्रश्न 2) इस कविता में और भी टिप्पणी-योग्य पद-प्रयोग है|
उत्तर- (i) पातली अँधेरे की गुहाओं में-
धरती लोक पर दो ऊर्जावान शक्ति सूर्य व चन्द्रमा का प्रकाश है, परन्तु इसके विपरीत पातल लोक में न ही सूर्य है और न ही चन्द्रमा| पाताल लोक में सिर्फ घना अँधेरा छाया हुआ है| पाताल की अंधेरी गुफाओं से कवि का आशय प्रिय से वियोग और उसके सरक्षण से दूर होकर रहना है|
(ii) छटपटाती छाती को भवितव्यता डराती है-
'छटपटाहट' व्याकुलता या बेचैनी को कहते है| प्रिय पर निर्भर रहकर कविता का कवि की आत्मा कमजोर हो गई है| उसका व्याकुलता ह्रदय भविष्य में होने वाली घटनाओ की आशंका से भयभीत होता है| उसे डर लगता है,की प्रियतम के स्नेह से दूर हो जाने पर उस पर क्या बीतेगी?
प्रश्न 3) व्याख्या कीजिए-
जाने क्या रिश्ता है, जाने क्या नाता है।
जितना भी उँडेलता हूँ, भर-भर फिर आता है।
दिल में क्या झरना है?
मीठे पानी का सोता है।
भीतर वह, ऊपर तुम
मुसकाता चाँद ज्यों धरती पर रात भर
मुझ पर त्यों तुम्हारा ही खिलता वह चेहरा है!
उपर्युक्त पंक्तियों की व्याख्या करते हुए यह बताइए कि यहाँ चाँद की तरह आत्मा पर झुका चेहरा भूलकर अंधकार-अमावस्या में नहाने की बात क्यों की गई है?
उत्तर- उपर्युक्त पंक्तियों की व्याख्या के लिए पधांश सख्या-2 की व्याख्या देखिए|
जिस प्रकार आसमान में रात को चाँद समस्त धरती को प्रकाश से भर देता है| उसी प्रकार कवि की प्रियतम का चेहरा कवि की आत्मा पर छाकर उसे अपने स्नेह-प्रेम भाव से भर देता है| निरंतर सुख और प्रिय की समीपता से कवि को यहा पता ही नही चल पाता की अपने प्रिय से उसे कितना प्रेम भाव है? जुदाई/वियोग ही प्रेम की अंतिम कसौटी है| कवि चाहता है, की प्रिय से दूर होकर, उसे भुलाने की चेष्टा करके, अपने प्रेम की परीक्षा ले, दुःख/वियोग का अनुभव करके देखे|
कविता के कवि के व्यक्तित्व में आत्म-निर्भरता के गुण नही रहा है| प्रिय से अलग होकर कवि आत्म-निर्भर होकर अपने व्यक्तित्व को निखारना चाहता है|
प्रश्न 4) तुम्हें भूल जाने की
दक्षिण ध्रुवी अंधकार-अमावस्या
शरीर पर, चेहरे पर, अंतर में पा लूँ मैं
झेलू मैं, उसी में नहा लूँ मैं
इसलिए कि तुमसे ही परिवेष्टित आच्छादित
रहने का रमणीय यह उजेला अब
सहा नहीं जाता है।
प्रश्न (क) यहाँ अंधकार-अमावस्या के लिए क्या विशेषण इस्तेमाल किया गया है और उससे विशेष्य में क्या अर्थ जुड़ता है?
(ख) कवि ने व्यक्तिगत संदर्भ में किस स्थिति को अमावस्या कहा है?
(ग) इस स्थिति से ठीक विपरीत ठहरने वाली कौन-सी स्थिति कविता में व्यक्त हुई है? इस वैपरीत्य को व्यक्त करने वाले शब्द का व्यख्यापूर्वक उल्लेख करें|
(घ) कवि अपने संबोध्य (जिसको कविता संबोधित है कविता का 'तुम') को पूरी तरह भूल जाना चाहता है, इस बात को प्रभावी तरीके से व्यक्त करने के लिए क्या युक्ति अपनाई है? रेखांकित अंशो को ध्यान में रखकर उत्तर दे|
उत्तर- (क) इस कविता की पंक्ति 'अंधकार-अमावस्या' में 'अंधकार-अमावस्या' के लिए 'दक्षिण ध्रुवी' विशेषण का प्रयोग हुआ है| इसमें विशेष्य 'अंधकार-अमावस्या' की सघनता और सीमा बढ़ गई है| क्योकि दक्षिण ध्रुव पर 6 महीने की गहरी लम्बी राते होती है|
(ख) कविता में कवि ने व्यक्तिगत संदर्भ में में अपने प्रिय को भूलने को ही अमावस्या कहा है|
(ग) कविता में 'तुम्हें भूल जाने की दक्षिण ध्रुवी अमावस्या से ठीक विपरीत ठहरने वाली स्थिति, जो इस कविता में व्यक्त हुई है|
वह है- 'तुमसे ही परीवेष्टित आच्छादित रहने का रमणीय यह उजेला'|
(घ) कवि अपने संबोध्य अर्थात प्रियतम, जिसको अपनी कविता में तुम कहकर पुकारा है, को ही पूरी तरह भूल जाना चाहता है| प्रिय को भूलने को उसने दशिण ध्रुव पर फैले सघनतम अंधकार में डूबने से व्यंजित किया है| प्रिय का वियोग घने अंधकार के समान है| कवि उसमे पूर्णत: डूब जाना चाहता है|
प्रश्न 5) बहलाती सहलाती आत्मीयता बरदाश्त नही होती है- और कविता के शीर्षक 'सहर्ष स्वीकारा है' में आप कैसे अंतर्विरोध पाते है? चर्चा कीजिए|
उत्तर- ऊपर से देखने से ये दोनों कथन परस्पर विरोधी प्रतीत होती है| कवि ने जीवन के हर पक्ष को सुख-दुःख,अभाव, गरीबी सबको प्रिय का प्रसाद मानकर प्रसन्नता से स्वीकार किया है| प्रिय की ममता को आपना रक्षा-कवच माना है| प्रिय से ही आपना अस्तित्व सार्थक माना है फिर उसी प्रिय की आत्मीयता का बरदाश्त न होना, विपरीत से बात प्रतीत होती है|
ऐसा मालूम चलता है, की प्रिय की अति ममता और समीपता के कारण कवि की आत्म-निर्भरता समाप्त न हो जाये तथा उसके मन में प्रिय के अवज्ञा का भाव न आ जाय| इसलिए वह उसके जुदाई/वियोग का दंड चाहता है| ताकि उसका प्रेम और भी गहराई पा सके तथा आत्म-निर्भर होकर उसका व्यक्तिव फिर से सही बन सके|